राहत इंदौरी शायरी, rahat indori shayri images- Dosto rahat indori ji ek mahan lekhak or shayar hai. Haal hi me unka nidhan ho gaya corona ke karan. Unki yaade or baate hi reh gayi hai ab. Unhi ke likhe hue kuchh khaas lavzo or shayari ko hum aapke saamne laaye hai. Aisi shayari jo apko ek naya nazariya degi dekhne kaaa. Padhiya shayari aur maza lijiye ek prasidh shayar ke shayari ka.
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Rahat indori shayri
जागने की भी जगाने की भी आदत हो जाये,
काश तुझे भी किसी शायर से मोहब्बत हो जाये...
किसने दस्तक दी है दिल पर कौन है ,
आप तो अंदर हैं, बाहर कौन है...
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें...
हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं,
आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं,
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया,
मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं...
राहत इंदौरी शायरी हिंदी
गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं,
में आ गया हु बता इंतज़ाम क्या क्या हैं,
फ़क़ीर, शाह, कलंदर, इमाम क्या क्या हैं,
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या हैं...
जो आज साहिब-ए- मनसद है कल नहीं होंगे,
किरायेदार है जाती मकान थोड़ी है,
सभी का खून है यहाँ की मिटटी में,
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है...
सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे,
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे,
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल,
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे...
राह में ख़तरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है,
मौत कल आती है आज आ जाए डरता कौन है...
ये दुनिया है इधर जाने का नईं,
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुजर जाने का नईं...
Rahat indori ki shayari
ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था,
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था...
वफ़ा को आज़माना चाहिए था,
हमारा दिल दुखाना चाहिए था..
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभालते क्यू है
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यू है..
जंग होती थी जहा तुम भी वही रहते थे
हा मगर अगली सफॉ मे तो हम ही रहते थे...
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया,
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया...
Rahat indori sad shayari images
अब फिरते हैं हम रिश्तों के रंग-बिरंगे ज़ख्म लिये,
सबसे हँस कर मिलना-जुलना बहुत बड़ी बीमारी है,
दौलत बाज़ू हिकमत गेसू शोहरत माथा गीबत होंठ,
इस औरत से बच कर रहना, ये औरत बाज़ारी है...
वो चाहता था कि कासा खरीद ले मेरा,
मैं उसके ताज की क़ीमत लगा के लौट आया...
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो...
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए...
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