[TOP] Javed akhtar shayari images, जावेद अख्तर शायरी- Javed akhtar ki ek bahut hi mazedar or kaafi gehre shayaar hai. Unhone kaafi filmo ke gaane, or bahut see kavitaaye likhi hai. Unka hamari filmo me ek atulaniya jagah hai, jo kabhi koi or le nahi sakta. Unhi ke khayalo me se kuch shayari humne yaha lekar aaye hai.
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Javed akhtar shayari Hindi
आज मैं ने अपना फिर सौदा किया,
और फिर मैं दूर से देखा किया,
ज़िंदगी-भर मेरे काम आए उसूल,
एक इक कर के उन्हें बेचा किया...
अभी ज़मीर में थोड़ी सी जान बाक़ी है,
अभी हमारा कोई इम्तिहान बाक़ी है,
हमारे घर को तो उजड़े हुए ज़माना हुआ,
मगर सुना है अभी वो मकान बाक़ी है ...
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं,
ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं,
रास्ता रोके खड़ी है यही उलझन कब से,
कोई पूछे तो कहें क्या कि किधर जाते हैं...
मैं ख़ुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है,
जिस का जवाब चाहिए वो क्या सवाल है...
Shayari by javed akhtar sir in Hindi
घर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न था,
क्या मुझ से खो गया है मुझे क्या मलाल है...
वो ज़माना गुज़र गया कब का,
था जो दीवाना मर गया कब का,
ढूँढता था जो इक नई दुनिया,
लूट के अपने घर गया कब का...
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता,
मुझे पामाल रास्तों का सफर अच्छा नहीं लगता...
इस शहर में जी ने के अंदाज निराले है,
होंठो पे लतीफे है आवाज़ में चाले है...
मैं पा सका न कभी इस खलिश से छुटकारा,
वो मुझ से जीत्त भी सकता था जाने क्यों हारा...
2 line javed akhtar shayari Images
सब का ख़ुशी से फ़ासला एक क़दम है,
हर घर में बस एक ही कमरा कम है...
ये हसीं शम्मे बुझाने के लिए मत आना,
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना...
छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था,
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए,
अक़्ल ये कहती दुनिया मिलती है बाज़ार में,
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए...
इस शाहर मे जीने के अंदाज़ निराले है,
होटो पे लतीफ़े है आवाज़ मे छाले है...
तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ,
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ...
थोडा गम है सबका किस्सा,
थोड़ी धुप है सब का हिस्सा...
जावेद अख्तर शायरी जिंदगी
यह दुनिया भर के झगडे, घर के किस्से, काम की बातें,
बला हर एक टल जाये, अगर तुम मिलने आ जाओ ...
बदल गई है ज़िंदगी, बदल गये हैं लोग भी,
ख़ुलूस का जो था कभी, वो अब सिला नहीं रहा...
हम तो बचपन में भी अकेले थे,
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे...
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें,
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं...
सोचो तो बड़ी चीज़ है तहज़ीब बदन की,
वर्ना ये फ़क़त आग बुझाने के लिए हैं...
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